सोमवार, 22 जुलाई 2024 को देश का आर्थिक सर्वे सामने आया। सरकार द्वारा जारी सर्वे में कई बातें अच्छे भविष्य का संकेत देती हैं। आंकड़े दिखाते हैं कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इससे ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू भी बढ़ा है। इससे यह भी पता चलता है कि सरकार सैलरी पाने वाले लोगों के लिए कुछ सुविधाजनक निर्णय ले सकती है।
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आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में डायरेक्टर टैक्स में काफी वृद्धि हुई है। डायरेक्ट टैक्स में वित्तीय वर्ष 2024 में 15.8% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह वृद्धि, ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू (GTR) में बड़ा योगदान दिखाती है और सरकार की मजबूत जमा व्यवस्था को दिखाती है। प्रत्यक्ष करों में हुई यह वृद्धि आर्थिक स्थिरता और विकास की ओर संकेत करती है।
धारा 80G के तहत कर छूट
सरकार ने ज़ीरो कूपन, ज़ीरो प्रिंसिपल (ZCZP) के माध्यम से किए गए योगदानों पर टैक्स छूट को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80G के तहत बढ़ाया है। सोशल सेक्टर परियोजनाओं को पैसे देने का प्रोत्साहन करने के लिए यह कदम उठाया गया है। सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) में किए गए योगदानों पर टैक्स छूट देना और सामाजिक क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था
आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के तहत पूर्ववर्ती टैक्स छूट को बदल दिया गया है। अब जीवन बीमा पॉलिसियों (जिनके वार्षिक प्रीमियम ₹5 लाख से अधिक है) से प्राप्त आय को टैक्सेशन के दायरे में डाला गया है। यह कानून हाई-वेल्यू बीमा पॉलिसियों पर टैक्सेशन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। इस संशोधन का उद्देश्य बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाना है और टैक्स वसूलना है।
आयकर के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण आर्थिक सर्वेक्षण २०२२–२३ में किया गया है। इनमें विशिष्ट छूटों की वृद्धि, प्रत्यक्ष करों में वृद्धि और टैक्स कलेक्शन की क्षमता शामिल हैं। टैक्स वसुली को मजबूत करने, सामाजिक क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ावा देने और उच्च मूल्य की बीमा पॉलिसियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ये नीतियां दिखाती हैं। इन नीतियों से सामाजिक क्षेत्र में निवेश और आर्थिक विकास की स्थिरता बढ़ेगी।
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