अब मेंथा की फसल को बाराबंकी जिले का विशिष्ट उत्पाद घोषित किया जाएगा. जिससे आप केवल स्वयं सहायता समूह कंपनियों एपीओ ही नहीं बल्कि मेंथा की पैदावार करने वाला किसान भी इसका जीआई पंजीकरण करा कर मुख्य प्रोपराइटर बन सकते हैं. शासन से घोषणा होने के बाद कृषि उद्यान विभाग ने इसे लेकर तैयारी पूरी कर ली है
बाराबंकी जिले में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मेंथा की खेती होती है. वहीं जीआई पंजीयन से अ कृषक सहकारी समिति एफपीओ, एफपीसी कृषक समूह व उत्पादक समूहों को वीरयता दी जाती थी.
लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए कृषक समिति एफपीओ एफपीसी व कृषक समूहों को वरीयता तो दी जाएगी मगर आत्मा सोसाइटी व कृषि उत्पादन मंडी समिति को सह प्रोपराइटर व सह आवेदक बनाया जाएगा लेकिन उत्पादक ही मुख्य प्रोपराइटर होगा.
जिला कृषि उप निदेशक श्रवण कुमार ने बताया पहले एक विशेष किस्म के आम को विशिष्ट उत्पाद एवं की पंजीकरण के लिए प्रस्तावित किया गया था. लेकिन मेंथा की व्यापकता को देखते हुए शासन ने इसे ही विशिष्ट उत्पाद घोषित किया गया है. जिससे किसानों को काफी लाभ होगा. वही जीआई पंजीयन का कार्य मेंथा से संबंधित उद्यान विभाग ही कराएगा.
बाराबंकी जिले के किसानों को विशिष्ट उत्पाद घोषित होने व जीआई पंजीकरण से किसानों को आगे योजनाओं व सुविधाओं का लाभ मिलेगा क्योंकि बाराबंकी जिले में लगभग एक लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में मेंथा की खेती होती है